इसलिये जहाँ जान का जोखिम हो या जान बचाने का कोई उपक्रम या अभ्यास किया जाना हो वहां पर हाथ से वाटे हुए रस्सों का प्रयोग करना उचित होता है.
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उक्त शिविर में विधिक सहायता अधिकारी प्रदीप सिंह, प्रोफेसर जयश्री नंदनवार, प्रोफेसर एम ० एल ० गुप्ता एवं डॉ ० आर ० एस ० वाटे सहित अत्यधिक संख्या में छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।