निगरानीकर्ता-वादीगण का कहना है कि विवादित आदेष दिनांकित 31-10-06 विधि विरूद्ध है, विद्धान विचारण न्यायालय द्वारा गलत ढंग से अपने क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल करने से इन्कार किया गया है, घोषणात्मक आज्ञप्ति के लिए दीवानी न्यायालय में वाद पोषणीय नहीं था और विद्धान विचारण न्यायालय इस त्रृटि को समझने में असमर्थ रहा है, न्यायालय द्वारा अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है, आदि।