राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कठपुतली अर्थात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी वही कह और कर रहे हैं जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की वास्तविक सोच है।
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कुछ समय पहले तक देश की भलाई सोचने का ढोंग करने वाले सरदार अब गिरफ्तार होने पर पूरे देश में अराजगता फेलाना चाहते हें क्या इससे उनकी अपने देश के प्रति वास्तविक सोच उजागर नहीं होती हे?
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मेरे प्रिय पाठकों नमस्कार मेरे इस विषय के व्यवहारिक पक्ष से अधिकाँश लोग असहमत रहे, आप सब को बताना चाहती हूँ की यह एक वास्तविक सोच है जिसे आपके इस ब्लॉगर ने ही जिया है.
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यह एक सीखने की प्रक्रिया है, जिसके बावजूद भी आपमें से कई लोग अहंकार या वास्तविक सोच से बचने के लिए सीखने से मना कर देते हैं और वही दर्द भरे (नकारात्मक प्रकार के) अनुभवों को दोहराह के आपने आपको बर्बाद कर रहे हैं.
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वाकई, यह सच है कि ज्यादा आय के कारण लोग बेहतर स्थानों के लिए दावे कर सकते हैं, लेकिन हमें यह जानकर हताशा होगी कि अगर हर कोई हमारी ही गति से समृद्ध हो रहा है तो किसी सामान को लेकर हमारी उपभोग की उम्मीद हमारी वास्तविक सोच से भिन्न होगी।
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वाकई, यह सच है कि ज्यादा आय के कारण लोग बेहतर स्थानों के लिए दावे कर सकते हैं, लेकिन हमें यह जानकर हताशा होगी कि अगर हर कोई हमारी ही गति से समृद्ध हो रहा है तो किसी सामान को लेकर हमारी उपभोग की उम्मीद हमारी वास्तविक सोच से भिन्न होगी।
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दुनिया में सभी मार्क्सवादी समीक्षकों ने अपने देश के पूजीवाद के चरित्र, स्वभाव और सांस्कृतिक-साहित्यिक प्रभावों के बारे में लिखा है, लेकिन नामवर सिंह संभवतः अकेले मार्क्सवादी हैं जो भारत के पूंजीवाद पर अपना कहीं पर भी समग्र मूल्यांकन व्यक्त नहीं करते वे सिर्फ प्रकारान्तर या किसी लेखक के बहाने से पूंजीवाद पर छोटी चलताऊ टिप्पणियां करके अपने वास्तविक सोच को छिपाए रखते हैं।
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प्रत्येक व्यक्ति को सबसे पहले अपनी स्वय की जातिसे बाहर निकलना होगा! देश की जनता को जाति एवं धर्म के नाम पर रा जनीति करने वाले दलों को चुनावों में विरोध करना चाहिए और सहयोग करने के बजाय इनकी वास्तविक सोच को जनता के सामने रखना चाहिए @ राजनीति में सर्व धर्म समभाव को अपनाना होगा! जनता को जातिवाद से अलग हटकर स्वतंत्र विचार धारा रखकर विकास के मुद्दे को प्राथमिकता देनी होगी!
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जड़ता-दासता से मुक्ति केवल हम दिला सकते हैं, जहाँ महान विचारकों ने इस प्रकार आस्था प्रगट की है वहीँ यथार्थ में आज की दशा और दिशा जिस पर हम चल रहें हैं वो निश्चित ही भटकाव कहा या देखा जा सकता है इसलिए भी मेरा ये स्पष्ट मत है की व्हाट इज इंडिया के लेखक सलिल जी ने इस किताब को लिख कर विश्व की हमारे प्रति सोच वो भी वास्तविक सोच को उजागर किया है इस किताब को एक अमूल्य धरोहर का दर्ज़ा दिया जा सकता है.
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जड़ता-दासता से मुक्ति केवल हम दिला सकते हैं, जहाँ महान विचारकों ने इस प्रकार आस्था प्रगट की है वहीँ यथार्थ में आज की दशा और दिशा जिस पर हम चल रहें हैं वो निश्चित ही भटकाव कहा या देखा जा सकता है इसलिए भी मेरा ये स्पष्ट मत है की ‘ व्हाट इज इंडिया ' के लेखक सलिल जी ने इस किताब को लिख कर विश्व की हमारे प्रति सोच वो भी वास्तविक सोच को उजागर किया है इस किताब को एक अमूल्य धरोहर का दर्ज़ा दिया जा सकता है।