बृहत्संहिता में वास्तुविद्या, भवन-निर्माण-कला, वायुमंडल की प्रकृति, वृक्षायुर्वेद आदि विषय सम्मिलित हैं।
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बृहत्संहिता में वास्तुविद्या, भवन-निर्माण-कला, वायुमंडल की प्रकृति, वृक्षायुर्वेद आदि विषय सम्मिलित हैं।
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वास्तुविद्या ' के प्रारंभ में उन्हें अगजा (पार्वती) पुत्र कहकर नमन किया गया है।
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पिछली कुछ पोस्टस में आपने जाना कि मानव हित में वास्तुविद्या का कितना अधिक महत्व है.
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तंत्रसम्मुच्य, वास्तुविद्या, मनुष्यालय-चंद्रिका और शिल्परत्न इस विषय के प्रसिद्ध ग्रंथ के तौर पर जाने जाते हैं।
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इस श्रेणी में वास्तुविद्या समीक्षाएं, किताबों के सारांश और लेखों के सार तत्वों और वास्तुविद्या से संबंधित शैक्षिक पेपर शामिल हैं.
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इस श्रेणी में वास्तुविद्या समीक्षाएं, किताबों के सारांश और लेखों के सार तत्वों और वास्तुविद्या से संबंधित शैक्षिक पेपर शामिल हैं.
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‘‘ देशभर के चुनिन्दे वास्तुविद्या विशारद, प्रसिद्ध मूर्तिकार और सुचतुर कलाकार एक सप्ताह से श्रीमान् की राजधानी आकर ठहरे हैं।
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विश्वकर्मीयम ग्रंथ इनमें बहुत प्राचीन माना गया है, जिसमें न केवल वास्तुविद्या, बल्कि रथादि वाहन व रत्नों पर विमर्श है।
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स्त्री पुरुष युग्म का जो पुराना देव भाव था वह आधुनिक वास्तुविद्या में किसी निर्माण के दर्शक पर समग्र प्रभाव के स्त्री या पुरुष रूप होने से जुड़ चला है।