जिसे हम विज्ञान-दर्शन कहते हैं उसका, दर्शन की निजी दृष्टि में यही उपयोग है कि वह वैज्ञानिक शोध के स्वरूप और सीमाओं की समुचित अवगति या जानकारी दे।
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विज्ञान-दर्शन की भी यह मान्यता है कि संरचना में संपूर्ण और घटक का सह-अस्तित्व रहता है और उसके घटकों (छंद, लय, सौंदर्य आदि) का महत्व इस बात में है कि वे न्यूनाधिक रूप उसके घटकों (छंद, लय, सौंदर्य आदि) का महत्व इस बात में है कि वे न्यूनाधिक रूप से संपूर्ण (रचना का संयोजन) की व्यंजना कर सके।