उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों के पास ज्यादा पैसा आए इसके लिए उन्हें हर हाल में वितरण हानि १ ५ प्रतिशत से कम पर लाने हिदायत दी गई है।
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रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया कि भविष्य में सरकार द्वारा की गई कई पहलों के कारण संचरण और वितरण हानि में कमी देखने को मिलेगी।
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उन्होंने कहा कि पारेषण के क्षेत्र में अर्जित सफलता को दृष्टिगत रखते हुए हमें वितरण के क्षेत्र में भी भी वितरण हानि को और अधिक कम करने के साथ राजस्व संग्रह को बढ़ाना चाहिये।
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तीसरा यह कि, तिरतालीस (४ ३ %) फीसदी पारेषण और वितरण हानि (Transmission & Distribution Losses), यह इनकी अक्षमता को साबित करने के लिए काफ़ी है | हो सकता है राजनैतिक कारणों से इनके हाथ बंधे हों पर पूरे प्रदेश में आशा की एक किरण भी नही दिखाई देती, एक भी अफसर ईमानदार और अलग सोच वाला दिखाई नही देता, तो यह दोष पूर्णतः विद्युत् वितरण कंपनियों का ही है |
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वर्तमान परिदृश्य में बिजली चोरी पकड़वाने पर, एरियर का राजस्व वसूली होने पर, वितरण हानि कम होने पर, वितरण ट्रांस्फारमरों की खराबी की दर कम होने पर आदि बिजली क्षेत्र से जुड़े घटक सीधे रूप से वितरण कंपनियों के आर्थिक लाभ से जुड़े हैं, वितरण कंपनियो के सी एम डी इतने शक्ति संपन्न हैं कि वे सहज ही जनभागीदारी संस्थानो को ये आर्थिक लाभ देकर, विद्युत क्षेत्र में जनसहयोग की नई शुरुवात कर सकते हैं.