आधार द्रव्य का अनुपात इतना कम रहता है कि प्रथम दृष्टि में ये शैल वितलीय (
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अत: श् ज्वालामुखी विज्ञान में अधिकांश वितलीय (plutonic), मैग्मज (igneous) भूविज्ञान सम्मिलित रहता है।
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भी दो क्षेत्रों में विभक्त किया गया है, पूर्व नितलस्थ (२०० से १,००० मीटर) तथा वितलीय नितलस्थ क्षेत्र (१,००० मीटर से समुद्र तल तक)।
14.
गहरा समुद्री नितलस्थ निकाय (deep sea benthic system) भी दो क्षेत्रों में विभक्त किया गया है, पूर्व नितलस्थ (२०० से १,००० मीटर) तथा वितलीय नितलस्थ क्षेत्र (१,००० मीटर से समुद्र तल तक)।
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३०० से १००० मी. तक की गहराई में सूर्य के प्रकाश की कमी तथा वितलीय गहराई में सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति के कारण वहाँ के प्राणियों में विविध रूपांतरण एवं अनुकूलन पाए जाते हैं, जैसे एकसमान शारीरिक रंग, प्रकाशोत्पादक रचनाएँ आदि।
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३०० से १००० मी. तक की गहराई में सूर्य के प्रकाश की कमी तथा वितलीय गहराई में सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति के कारण वहाँ के प्राणियों में विविध रूपांतरण एवं अनुकूलन पाए जाते हैं, जैसे एकसमान शारीरिक रंग, प्रकाशोत्पादक रचनाएँ आदि।
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गहरा समुद्री नितलस्थ निकाय (deep sea benthic system) भी दो क्षेत्रों में विभक्त किया गया है, पूर्व नितलस्थ (२ ०० से १, ००० मीटर) तथा वितलीय नितलस्थ क्षेत्र (१, ००० मीटर से समुद्र तल तक) ।
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३ ०० से १ ००० मी. तक की गहराई में सूर्य के प्रकाश की कमी तथा वितलीय गहराई में सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति के कारण वहाँ के प्राणियों में विविध रूपांतरण एवं अनुकूलन पाए जाते हैं, जैसे एकसमान शारीरिक रंग, प्रकाशोत्पादक रचनाएँ आदि।