६-भारत में देशी कंपनियों को प्रताड़ित किया जाता है और उन्हें टैक्स और कानून के शिकंजे में फंसाकर विदेशी कंपनियों को खुश किया जाता है, जब की चीन में सरकार खुद देशी कंपनियों को बताती है किस प्रकार उत्पादन बढ़ाये और निर्यात बढ़ाये, इसके लिए उन्हें विदेशी कानूनों से भी बचाया जाता है.
12.
मैं इन पंक्तियों को किसी कल्पना के आधार पर नहीं लिख रहा हूँ बल्कि मैंने विदेशी कानूनों एवं वहाँ की न्यायिक व्यवस्था की जानकारी प्राप्त की है जिसके चयनित अंश मेरे ब्लॉग पर उपलब्ध हैं और उसके पश्चात ही उपरोक्त तथ्य उजागर करने का प्रयास कर रहा हूँ और आशा है वांछित शोध के उपरांत आप भी मेरी उक्त धारणा की पुष्टि करेंगे.
13.
वैसे भी साम्राज्यवाद एकचक्रिय व विस्तारवादी धारणा पर आधारित है जबकि लोकतंत्र इसके विपरीत जनकल्याण के दर्शन की उपज है. आम व्यक्ति को प्रभावित करने वाले हमारे विद्यमान कानूनों की समसामयिक विदेशी कानूनों से तुलना करें तो हमें ज्ञात होगा कि हम सामान्य कानून तथा न्याय व्यवस्था में अंतर्राष्ट्रीय स्तर से बहुत पीछे हैं.फिर भी पूंजीपति वर्ग को प्रभावित करने वाले आयकर व कंपनी अधिनयम जैसे कानूनों में प्रतिवर्ष अनेक परिवर्तन किये जाते रहते हैं.
14.
दूसरों को भी समझें इस फैसले से यह सवाल भी पैदा होता है कि क्या भारत से बाहर रहने वाले भारतीयों को स्थानीय सिविल और क्रिमिनल लॉ के पालन के साथ अब अपने घरों में भी विदेशी कानूनों का पालन करना होगा? नार्वे, स्वीडन और फिनलैंड जैसे यूरोपीय देशों में बच्चों के अधिकारों से जुड़े कानून इतने सख्त हैं कि बच्चों के हित के नाम पर उन्हें परिवारों से अलग रखने से भी गुरेज नहीं किया जाता।