साथ ही वित्त मंत्री पी चिदम्बरम बीमा और बैंकिग क्षेत्रों में विदेशी विनिवेश को बढ़ाए जाने का समर्थन कर रहे हैं जबिक वाणिज्य मंत्री कमलनाथ खुद्रा क्षेत्र को वॉलमार्ट जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खोले जाने का समर्थन कर रहे हैं.
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गायब हो गए | वे कहां गए? या तो उन्हें दुनिया के अन्य अधिक सुरक्षित बैंकों में सरका दिया गया है या फिर विदेशी विनिवेश का चोला पहनाकर उन्हें फिर से भारत में खपा दिया गया है | इस धूर्त्तता के लिए कौन जिम्मेदार है?
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बल्कि सहयोगा दल तृणमूल कांग्रेस के प्रबल विरोध के बीच बैंक हड़ताल के मध्य ही बीमा और पेंशन में प्रत्यक्ष विदेशी विनिवेश ४ ९ प्रतिशत फाइनल करके चिदंबरम ने उद्योग जगत को संकेत दे दिया है कि दूसरे चरण के सुधारों से सरकार पीछे हटने वाली नहीं है.