रूप ध्यान ' नाम देकर स्पष्ट किया कि ध्यान की सार्थकता तभी है जब हम भगवान के किसी मनोवांछित रूप का चयन करके उस रूप पर ही मन को टिकाए रहें. 7. वह पहले जगदगुरु थे, जिन् होंने विदेशों में प्रचार के लिए समुद्र पार किया.
12.
इसके तहत चर्मशोधन क्षेत्र में पर्यावरण संबंधी चिंताओं के समाधान, चमड़ा उद्योग के क्षेत्र में संयुक्त उपक्रम और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के उपुयक्त स्थल के रूप में भारत का विदेशों में प्रचार, चमड़ा पार्क के विकास के माध्यम से अवसंरचना संबंधी कमियों को दूर करना आदि भी शामिल है।