आरंभ में धर्माधिकारी तथा न्यायालय इस विधिक व्यवसाय को नियंत्रित करते थे किंतु कुछ समय पश्चात् व्यवसाय तनिक पुष्ट हुआ तो इनके अपने संघ बन गए, जिनके नियंत्रण से विधिक वृत्ति शुद्ध रूप में प्रगतिशील हुई।
12.
विधिक वृत्ति में सदा दो प्रकार के विशेषज्ञ रहे-एक वह जो अन्य व्यक्ति की ओर से न्यायालय में प्रतिनिधित्व कर पक्षनिवेदन करते, दूसरे वह जो न्यायालय में जाकर अधिवक्तृत्व नहीं करते किंतु अन्य सब प्रकार से दावे का विधि-दायित्व लेते।
13.
इंग्लैंड की विधिक वृत्ति का एक विशेष रूप यह है कि जहाँ अन्य यूरोपीय देशों में विधिशिक्षा, शिक्षालयों द्वारा नियंत्रित हुई, यहाँ विधि वृत्ति संघों ने विधिशिक्षा, शिक्षालयों द्वारा नियंत्रित हुई, यहाँ विधि वृत्ति संघों ने विधिशिक्षा का दायित्व ग्रहण कर इसे नियंत्रित किया।