मुनि श्री ने कहा कि लोग कहते हैं कि ब्रह्मा सृष्टि के निर्माता और विष्णु सृष्टि के पालनहार एवं महेश विनाशकर्ता हैं, लेकिन मां जो पालन पोषण के साथ ही जीवन की बुराईयों को मिटाती है, वह महान है।
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आदिकाल या पाषाण युग या हिमयुग से या सभ्यता के उदयकाल से ही जिसने-आग, हवा, पानी, आकाश और बुद्धि की प्रबलता को स्वीकार किया था वो ‘ मानव ' ‘ इंसान '-जगतीतल के समस्त प्राणियों में सबसे चालाक और मेधा शक्तिसम्पन्न होने से प्रकृति का सबसे बड़ा दोहनकर्ता, उपभोगकर्ता एवम् विनाशकर्ता था, उसी ने गाँव, नगर, महानगर, राष्ट्र और ‘ संयुक्त राष्ट्र ' बनाये।