प्रकाशकीय मे सूचित किया गया है कि यह पुस्तक मूलतः एक योजना के तहत लिखवाया गया विनिबंध है, जिस की अनुशंसा हिन्दी परामर्श मण्डल से फरवरी 2004 मे प्राप्त हुई.
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साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली की ‘भारतीय साहित्य निर्माता' शृंखला के अंतर्गत सुरेन्द्र झा ‘सुमन' द्वारा लिखित मैथिली विनिबंध 'कुमार गंगानंद सिंह' (1991 ई.) भी इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को उजागर करनेवाली महत्त्वपूर्ण कृति है।
13.
उप समिति का सुझाव था कि इस श्रृंखला के प्रथम चरण में हिमाचली, कुमाऊँनी, गढ़वाली, हरियाणवी, भोजपुरी, अवधी आदि हिन्दी की बोलियों (सहभाषाओं) पर विनिबंध लिखवाएं जाएं.
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भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार पुस्तकालय में 1, 70,000 प्रकाशन हैं जिनमें दुर्लभ पुस्तकें, रिपोर्ट, संसदीय पत्र और बहस, विनिबंध, गजट, गजेटियर, यात्रा वृत्तांत, स्वदेशी अखबार, जर्नल आदि शामिल हैं।
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# Peoples Linguistic survey of India-2011 मे बतौर हिमाचल खण्ड के सह-सम्पादक काम कर रहे श्री तोबदन ने जानकारी दी कि विवेच्य विनिबंध इस विषय पर पहला और अकेला काम है और बहुत महत्वपूर्ण है.
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इसके अतिरिक् त ‘ अज्ञेय: कुछ रंग और कुछ राग ' (1999, आलोचना), ‘ भगवतीचरण वर्मा ' (1989, विनिबंध) और ‘ अमृतलाल नागर ' (1994, विनिबंध) भी उल्लेखनीय हैं।
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इसके अतिरिक् त ‘ अज्ञेय: कुछ रंग और कुछ राग ' (1999, आलोचना), ‘ भगवतीचरण वर्मा ' (1989, विनिबंध) और ‘ अमृतलाल नागर ' (1994, विनिबंध) भी उल्लेखनीय हैं।
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रागदरबारी के अलावा भी वे उम्र भर लेखन साधना में जुड़े रहे, उनकी सक्रियता उनके 10 उपन्यास, चार कहानी संग्रह, नौ व्यंग्य संग्रह, एक आलोचना, दो विनिबंध और एक साक्षात्कारों की पुस्तक प्रमाणित करते हैं.
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रागदरबारी के अलावा भी वे उम्र भर लेखन साधना में जुड़े रहे, उनकी सक्रियता उनके 10 उपन्यास, चार कहानी संग्रह, नौ व्यंग्य संग्रह, एक आलोचना, दो विनिबंध और एक साक्षात्कारों की पुस्तक प्रमाणित करते हैं.
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साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली की ‘ भारतीय साहित्य निर्माता ' शृंखला के अंतर्गत सुरेन्द्र झा ‘ सुमन ' द्वारा लिखित मैथिली विनिबंध ' कुमार गंगानंद सिंह ' (1991 ई.) भी इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को उजागर करनेवाली महत्त्वपूर्ण कृति है।