डाल्टन ने द्रव्यों की विभाज्यता का विचार प्रदान किया जिसे उस समय तक दार्शनिकता माना जाता था।
12.
फाइबोनैचि संख्याओं की अभाज्य p द्वारा विभाज्यता लीजेन्ड्रे संकेत से संबंधित है जिसका निम्नतः मान निकाला जाता है:
13.
दिक् का तीसरा स्वरूप वस्तुओं के “आकार ' से मिलता है, जिससे दिक् की विभाज्यता की भी कल्पना की जा सकती है।
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दिक् का तीसरा स्वरूप वस्तुओं के “आकार ' से मिलता है, जिससे दिक् की विभाज्यता की भी कल्पना की जा सकती है।
15.
इसके अन्तर्गत विभाज्यता, महत्तम समापवर्तक निकालने के लिए प्रयुक्त यूक्लिड का अल्गोरिद्म, संख्याओं के अभाज्य गुणखण्ड निकालना, पूर्ण संख्याओं (परफेक्ट नम्बर्स) तथा समशेषता (
16.
दिक् का तीसरा स्वरूप वस्तुओं के ” आकार ' से मिलता है, जिससे दिक् की विभाज्यता की भी कल्पना की जा सकती है।
17.
विभाज्यता के नियम (divisibility rule) उन विधियों को कहते हैं जो सरलता से बता देते हैं कि कोई संख्या किसी दूसरी संख्या से विभाजित हो सकती है या नहीं।
18.
अनुक्रम की प्रत्येक तीसरी संख्या सम है और आम तौर पर, अनुक्रम की प्रत्येक k वीं संख्या, F का गुणज है.इस प्रकार फाइबोनैचि अनुक्रम, एक विभाज्यता अनुक्रम का उदाहरण है.
19.
किसी भी आधार वाले संख्या-पद्धति (जैसे, द्वयाधारी या अष्टाधारी संख्याओं) के लिये ऐसे नियम बनाये जा सकते हैं किन्तु यहाँ केवल दाशमिक प्रणाली (decimal system) के संख्याओं के लिये विभाज्यता के नियम नियम दिये गये हैं।
20.
इसके अन्तर्गत विभाज्यता, महत्तम समापवर्तक निकालने के लिए प्रयुक्त यूक्लिड का अल्गोरिद्म, संख्याओं के अभाज्य गुणखण्ड निकालना, पूर्ण संख्याओं (परफेक्ट नम्बर्स) तथा समशेषता (congruences) आदि का अध्ययन किया जाता है।