महेश पुनेठा एक अत्यंत संवेदनशील कवि होने के साथ-साथ एक सहृदय समीक्षक भी हैं, ऐसे में उनके मूल्यांकन को प्रामाणिक न मानना खुद अपनी राय से विमति ही कही जाएगी.
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नेपाल में हिन्दी बहुप्युक्त है, इस बात से किसी को विमति नहीं हो सकती, इसके प्रयोग को प्रोत्साहित करने वाले कारकों और तत्वों को भी हम जानते हैं ।
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महेश पुनेठा एक अत्यंत संवेदनशील कवि होने के साथ-साथ एक सहृदय समीक्षक भी हैं, ऐसे में उनके मूल्यांकन को प्रामाणिक न मानना खुद अपनी राय से विमति ही कही जाएगी.
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मोहन श्रोत्रिय: पिछले दिनों उनके द्वारा शुरू की गई तमाम बहसों में विमति के अस्वीकार का ही नहीं, बल्कि उसके तिरस्कार का स्वर भारी से और अधिक भारी होता चला गया है.
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पर क्या मांगा है उन्होंने देवी सरस्वती से? मांगा है-लुनातु जन-मानसाद् विमति-तन्तु-जालावलीः ' '-कि आमजन के मन से विमति के जाले साफ करो ताकि वे ठीक-ठीक समझ सकें कि कौन दुश्मन है, कौन दोस्त!
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पर क्या मांगा है उन्होंने देवी सरस्वती से? मांगा है-लुनातु जन-मानसाद् विमति-तन्तु-जालावलीः ' '-कि आमजन के मन से विमति के जाले साफ करो ताकि वे ठीक-ठीक समझ सकें कि कौन दुश्मन है, कौन दोस्त!