| 11. | इसमें संशय नहीं कि आज विमान विद्या अत्यंत विकसित अवस्था में पहॅंच चुकी है ।
|
| 12. | उदानवायु को वायु-प्रतिबन्धक यन्त्र से रोका जाय तो वह विमान विद्या में काम आता है।
|
| 13. | विमान के प्रकार-विमान विद्या के पूर्व आचार्य युग के अनुसार विमानों का वर्णन करते है।
|
| 14. | परंतु महाभारत काल तथा उससे पूर्व भारतवर्ष में भी विमान विद्या का विकास हुआ था ।
|
| 15. | उदान वायु को वायु प्रतिबन्धक वस्त्र में रोका जाए तो यह विमान विद्या में काम आता है।
|
| 16. | मिवामन के प्रकार-विमान विद्या के पूर्व आचार्य युग के अनुसार विमानों का वर्णन करते हैं ।
|
| 17. | विमान शास्त्र:-विमान विद्या अत्यंत प्राचीन समय से ही भारत में बहुत ही प्रगत अवस्था में था।
|
| 18. | कष्यप, नंदीष, घुंडीनाथ, परशुराम, दीर्घतमस, द्रोण आदि ऐसे प्रमुख नाम हैं जिन्होनें विमान विद्या
|
| 19. | इस ऋषियों ने विमान विद्या, नक्षत्र विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, धातुकर्म, आदि अनेक क्षेत्रों में शोध किया।
|
| 20. | उदान वायु (H 2) को वायु प्रतिबन्धक वस्त्र (गुब्बारा) में रोका जाए तो यह विमान विद्या में काम आता है।
|