रश्मि शर्मा रूप-अरूप नील जब से हम पड़े हैं प्यार में तुमने मुझे चांद समझा और मैंने तुम्हें समंदर हम दूर हैं ये हमारी किस्मत है मैं खुद को तुममें विलीन करना चाहती हूं तुम प्रेमरूप-अरूप (रश्मि शर्मा) चूलें तो दिल्ली के कुशासन कि अन्ना हज़ारे के आंदोलन12/9/2013 6:25:00
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सर्वदा इस भाव में जीना होगा-हे प्रभु! कठिन से कठिन परीक्षा ले लो, मेरा पदस्खलन नही होगा क्योंकि मेरा अंतिम ध्येय तुझे प्राप्त करना, तेरा साक्षात्कार करना है, तेरा कृपा पात्र बनना है, तेरी ज्योति में ही अपनी ज्योति को ऐसे विलीन करना है जैसे सूर्य अपनी ज्योति को सांझ के आगोश में विलीन कर देता है।