याचिका में मांग की गई है कि प्रोफेसर आयन विल्मट के नाइटहुड का सम्मान वापस ले लिया जाए।
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यदि नहीं, तो हमें मानव क्लोनिंग नहीं करनी चाहिए।” डॉली के जन्मदाता विल्मट के विचार भी कुछ इसी प्रकार के हैं।
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लेकिन नहीं, इस असंभव को संभव कर दिखााया रोज़लिन रिसर्च इंस्टि्यूट, स्कॉटलैंड में कार्यरत आयन विल्मट और उनके साथियों ने।
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उल्लेखनीय है कि विल्मट ने स्वीकार किया था कि डाली की परियोजना के 66 प्रतिशत श्रेय का हकदार उनका एक सहयोगी है।
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प्रोफेसर विल्मट का कहना है कि मानव भ्रूण की क्लोनिंग के ज़रिए मोटर न्यूरान बीमारी के बारे में बहुत जानकारियां जुटाई जा सकेंगी.
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प्रोफेसर इयान विल्मट और लंदन के किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिक मोटर न्यूरान बीमारी की जांच पड़ताल के लिए मानव भ्रूण की क्लोनिंग करेंगे.
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इस मामले में विल्मट के खिलाफ प्रवासी भारतीय वैज्ञानिक के तमाम आरोप खारिज कर दिए गए और ये अब अपील के अधीन हैं।
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मामले की सुनवाई के दौरान विल्मट से पूछा गया कि क्या यह वक्तव्य मैंने डाली का सृजन नहीं किया, सही है, उन्होंने कहा कि हां ऐसा है।
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१९९७ में `रोज़लिन रिसर्च इंस्टीट्यूट, स्कॉटलैंड में कार्यरत विल्मट एवं साथी वैज्ञानिकों ने एक मादा भेड़ के स्तन की कोशिका से उसकी हूबहू प्रतिकृति (क्लोन) के निर्माण में पहली बार सफलता प्राप्त की।
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इससे पहले वैज्ञानिक ख़राब उत्तकों को बदलने के लिए ही भ्रूणों की क्लोनिंग की अनुमति मांगते थे लेकिन प्रोफेसर विल्मट ऐसे लोगों के भ्रूणों की क्लोनिंग करना चाहते हैं जिनमें मोटर न्यूरॉन बीमारी पहले से है.