लेखक ने विवरणात्मक शैली को अपनाकर सामाजिक सरोकार, विषमताएँ, सामाजिक, धार्मिक, व्यक्तिगत, प्रशासनिक कठनाईयों का चित्रण करते हुए पाठकों के साथ तादात्म्य बैठाने में सफलता प्राप्त की है.मित्र के गृह-प्रवेश की पूजा में अपने घर से ११० किलोमीटर दूर कनाडा की ओंटारियो झील के किनारे बसे गाँव ब्राईटन तक कार ड्राईव करते वक्त हाईवे पर घटित घटनाओं, कल्पनाओं एवं चिन्तन श्रृंखला ही 'देख लूँ तो चलूँ' है.