आदेष याची षान्ति प्रसाद की याचिका प्रत्यर्थी श्रीमती रष्मि देवी के विरूद्ध स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची 20 एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
12.
श्रीमती सुशमा देवी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार किया जाता है एवं याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है। न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीष टिहरी गढवाल, नई टिहरी।
13.
आदेष याची उदय सिह की याचिका को प्रत्यर्थी श्रीमती सुनीता देवी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार किया जाता है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
14.
आदेष याची श्रीमती पार्वती देवी बिश्ठ की याचिका को प्रत्यर्थी उम्मेद सिह बिश्ट के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार किया जाता है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
15.
आदेष याची श्रीमती विजना देवी की याचिका को प्रत्यर्थी श्री दिनेष के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार किया जाता है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
16.
आदेष याची श्रीमती सुनीता देवी की याचिका को प्रत्यर्थी श्री दिनेष के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार किया जाता है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
17.
आदेष याची राकेष सिह की याचिका प्रत्यर्थी संख्या-1 श्रीमती ममता देवी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची एवं प्रत्यर्थी संख्या-1 के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
18.
आदेष याची श्रीमती बुगनी कठैत की याचिका को प्रत्यर्थी बचन सिह कठैत के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार किया जाता है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
19.
आदेष याची श्रीमती पुश्पा की याचिका प्रत्यर्थी विनोद सिह के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार की जाती है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा नई टिहरी, दिनॉक 01.9.2010 याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।
20.
आदेष याची श्री लोकेन्द्र सिह नेगी की याचिका को प्रत्यर्थी श्रीमती संगीता देवी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सव्यय स्वीकार किया जाता है एवं विवाह विच्छेद की डिक्री द्वारा याची एवं प्रत्यर्थी के मध्य हुये विवाह का विघटन किया जाता है।