उस समय लगान की वसूली का भार अंगरेजों पर था, और कुल सम्पत्ति की रक्षा का भार पापिष्ट, नराधम, विश्वासघातक, मनुष्य-कुलकलंक मीरजाफर पर था।
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उस समय लगान की वसूली का भार अंग्रेजों पर था और कुल सम्पत्ति की रक्षा का भार पापिष्ट, नराधम, विश्वासघातक, मनुष्य-कुलकलंक मीर जाफ़र पर था।
13.
वे राजनीति कर रहे थे लेकिन वैसी राजनीति नहीं जो मौसमी वायदों और विश्वासघातक कार्रवाइयों पर टिकी हुई होती है जिसके हम भारत में आदी बना दिए गए हैं.
14.
जब तक करोड़ों भूखे और अशिक्षित रहेंगे, तब तक मैं प्रत्येक उस आदमी को विश्वासघातक समझूँगा, जो उनके खर्च पर शिक्षित हुआ है, परंतु जो उन पर तनिक भी ध्यान नहीं देता!
15.
अपनी रचना ' ' श्रमजीवी क्रान्ति और विश्वासघातक काउट्स्की '' में लेनिन ने पूंजीवादी लोकतंत्र के बारे में मजदूर वर्ग आन्दोलन में भ्रम पैदा करने के प्रयासों को चकनाचूर किया और पूंजीवादी लोकतंत्र तथा श्रमजीवी अधिनायकत्व के तहत श्रमजीवी लोकतंत्र के बीच अन्तर को साफ-साफ समझाया।
16.
अपनी कृति “ श्रमजीवी क्रांति और विश्वासघातक काउत्स्की ” में लेनिन ने पूंजीवादी लोकतंत्र के बारे में मजदूर वर्ग आंदोलन में भ्रम फैलाने की कोशिशों का पर्दाफाश किया और श्रमजीवी अधिनायकत्व के तहत श्रमजीवी लोकतंत्र के साथ पूंजीवादी लोकतंत्र की बड़ी तीक्ष्णता से तुलना की।
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एलन ने आगे अपनी प्रतिक्रिय को जारी रखते हुए अश्वेत राष्ट्रवादियों को “कठोर और पूर्व कैदियों की उपमा दी”, अफ्रीकी अमेरिकी मूल के अफ्रीकी अमेरिकी की उग्रता पर जब अफ्रीकी अमेरिकी व्यक्तियों या समूहों को “टॉम”, विश्वासघातक या “धोखेबाज” की संज्ञा दी, दो टूक लैंगिकवादी रवैया और श्वेतों सर्वोच्च विचारधाराओं से समानता:
18.
जब तक करोड़ों भूखे और अशिक्षित रहेंगे, तब तक मैं प्रत्येक उस आदमी को विश्वासघातक समझूँगा, जो उनके खर्च पर शिक्षित हुआ है, परंतु जो उन पर तनिक भी ध्यान नहीं देता! वे लोग जिन्होंने गरीबों को कुचलकर धन पैदा किया है और अब ठाठ-बाट से अकड़कर चलते हैं, यदि उन बीस करोड़ देशवासियों के लिए जो इस समय भूखे और असभ्य बने हुए हैं, कुछ नहीं करते, तो वे घृणा के पात्र हैं ।
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जब तक करोड़ों भूखे और अशिक्षित रहेंगे, तब तक मैं प्रत्येक उस आदमी को विश्वासघातक समझूँगा, जो उनके खर्च पर शिक्षित हुआ है, परंतु जो उन पर तनिक भी ध्यान नहीं देता! वे लोग जिन्होंने गरीबों को कुचलकर धन पैदा किया है और अब ठाठ-बाट से अकड़कर चलते हैं, यदि उन बीस करोड़ देशवासियों के लिए जो इस समय भूखे और असभ्य बने हुए हैं, कुछ नहीं करते, तो वे घृणा के पात्र हैं ।
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जब तक करोड़ों भूखे और अशिक्षित रहेंगे, तब तक मैं प्रत्येक उस आदमी को विश्वासघातक समझूँगा, जो उनके खर्च पर शिक्षित हुआ है, परंतु जो उन पर तनिक भी ध्यान नहीं देता! वे लोग जिन्होंने गरीबों को कुचलकर धन पैदा किया है और अब ठाठ-बाट से अकड़कर चलते हैं, यदि उन बीस करोड़ देशवासियों के लिए जो इस समय भूखे और असभ्य बने हुए हैं, कुछ नहीं करते, तो वे घृणा के पात्र हैं ।