पहले तो यहाँ मेरा विषय गोत्र व्यवस्था को सही या गलत ठहराना नही है....शायद आप को मंतव्य स्पष्ट नही हो रहा और आप विषयेतर टिप्पणियाँ किसी आवेश में किये जा रहे हैं...जब कभी मेरा मन इस विषय में लिखने को होगा मैं आपको जरुर चर्चा के लिए आमंत्रित करुँगी..
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‘ [6] तो, कुल मिलाकर ‘ सशर्त ', ‘ आत्मबोध ' और ‘ समग्र दृष्टिकोण का आग्रह ' करते हुए आलोचक हमें इस निष्कर्ष तक पहुंचाता है कि कबीर की सारी पीड़ा ‘ धर्मेतर ', ' विषयेतर ', ‘ वर्णेतर ' होने की है जो कि ब्रह्मांडेतर होने के करीब जान पड़ता है.
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यहाँ यह प्रसंग विषयेतर नहीं होना चाहिए कि ओलम्पिक में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बाद टीम जब दक्षिण अफ्रीका लौटी तो वहाँ के एक बड़े उद्यमी ने विजेता खिलाडियों को अच्छे नस्ल की गायें देने की घोषणा की पर कुछ खिलाड़ियों ने जीवित गाय स्वीकार करने की बजाय उनके मांस से बने पकवान गरीब बच्चों के बीच बाँट देने का अनुरोध किया.