ज्वरीयबीमारी के शुरूमें अंतरीय रोग निवारण में विषाणुज और जीवाणुज संक्रमण का एक वृहत् विस्तृत श्रेणी शामिल है।
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ऊपरी श्वसन मार्ग के विषाणुज संक्रमण के रूप में भी जाना जाने वाला, सामान्य सर्दी-ज़ुकाम, एक संक्रामक रोग है जो विषाणुओं की कई विभिन्न प्रकारों से हो सकता है।
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विषाणुज मतिष्कावरणशोथ (मैनिनजाइटिस) एक कम गंभीर रोग है किन्तु फिरभी अत्यन्त दुर्बलकारक हो सकता है, और बहुत कम बार, सिरदर्द, ज्वर और उनींदेपन से गहरी सम्मूर्छा में विकसित हो सकता है।
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इन्फ़्लुएन्ज़ा (फ़्लू) ऊपरी श्वास सम्बन्धी एक विषाणुज रोग है जो ज्वर, शारीरिक पीड़ा, सिरदर्द, थकान, भूख की कमी, एक सूखी खाँसी, और एक सूजन या सूखा गला जैसे लक्षण उत्पन्न करते हुए, अचानक होता है।
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परिषद के स्थाई संस्थान क्षयरोग, कुष्ठरोग, हैजा एवं अतिसारीय रोगों, एड्स सहित विषाणुज रोगों, मलेरिया, कालाजार, रोगवाहक नियंत्रण, पोषण, खाद्य एवं औषध विषविज्ञान, प्रजनन, प्रतिरक्षा रुधिरविज्ञान, अर्बुदविज्ञान, आयुर्विज्ञान सांख्यिकी, आदि विशिष्ट क्षेत्रों में शोधरत हैं ।
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सोलहवर्ष से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन कभी भी नहीं दिया जाना चाहिए, किन्तु यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि यदि उन्हें छोटीमाता की तरह एक विषाणुज संक्रमण हो तो आपका बच्चा एस्पिरिन न ले।
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एड्स डिमेन्शिया कॉम्प्लेक्स एडीसी एचआईवी संक्रमण द्वारा प्रेरित एक चयापचयी एनसिफेलोपैथी है और एचआईवीसंक्रमित मस्तिष्क वृहतभक्षक-कोशिकाएँ मैक्रोफेज्स और सूक्ष्म तंत्रिकाबन्ध माइक्रोग्लिया के प्रतिरक्षा सक्रियण द्वारा भड़कता है जो पोषक और विषाणुज मूल दोनों के न्यूरोटॉक्सिनों को स्रावित करता है।
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विशिष्ट तंत्रिका संबंधी क्षतियाँ संज्ञानात्मक व्यवहार संबंधी और प्रेरक पेशी की असामान्यताओं द्वारा अभिव्यक्त होती हैं जो एचआईवी संक्रमण के सालों बाद होती हैं और निम्न सीडी४ + टी कोशिका स्तरों और उच्च प्लाविका प्लाज़्मा विषाणुज भारों से सम्बन्धित है।
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चिकित्सीय रोग विकास की दर व्यक्तियों के बीच बहुत अधिक बदलता है और इसे कई कारकों जैसे कि पोषक की अतिसंवेदनशीलता तथा प्रतिरक्षी क्रिया स्वास्थ्य संरक्षण और सह संक्रमणों के साथ-साथ विषाणुज प्रभेद से संबंधित कारकों द्वारा प्रभावित होता दर्शाया गया है।
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आईसीएमआर के 18 राष्ट्रीय संस्थान क्षयरोग, कुष्ठरोग, हैजा तथा अतिसारीय रोग, एड्स सहित विषाणुज रोग, मलेरिया, कालाजार, रोगवाहक नियंत्रण, पोषण, खाद्य एवं औषध विष विज्ञान, प्रजनन, प्रतिरक्षा, रुधिर विज्ञान, अर्बुद विज्ञान, आयुर्विज्ञान सांख्यिकी आदि जैसे स्वास्थ्य के विशिष्ट विषयों पर अनुसंधान करते हैं।