अभी जो कुछ आपने पीसते देखा था, वह गेहूँ नहीं, वरन विषूचिका (हैजा) थी, जो पीसकर नष्ट-भ्रष्ट कर दी गई है ।
12.
मै स्वयं से प्रश्न करने लगा कि आटे और विषूचिका (हैजा) रोग का भौतिक तथा पारस्परिक क्या सम्बंध है ।
13.
उन्होने मुझे बतलाया कि गाँव में विषूचिका (हैजा) का जोरो से प्रकोप है और उसके निवारणार्थ ही बाबा का यह उपचार है ।
14.
उन्होने मुझे बतलाया कि गाँव में विषूचिका (हैजा) का जोरो से प्रकोप है और उसके निवारणार्थ ही बाबा का यह उपचार है ।
15.
इसका टीका एक सप्ताह के अंतर से दो बार लगना अधिक अच्छा है परंतु एक बार का टीका भी विषूचिका निरोध में बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है।
16.
अभी जो कुछ आपने पीसते देखा था, वह गेहूँ नहीं, वरन विषूचिका (हैजा) थी, जो पीसकर नष्ट-भ्रष्ट कर दी गई है ।
17.
हे श्रीरामचन्द्रजी, संसाररूपी विष के आवेश से हुई विषूचिका (हैजा) बड़ी कष्टदायिनी है, वह पवित्रतम जीव और ब्रह्म के ऐक्यज्ञानरूपी गारूड़मन्त्र से शान्त होती है।
18.
आंत्र ज्वर (typhoid fever) के जीवाणु के प्रतिरोधी प्रतिरक्षी प्रवाहिका (dysentery) अथवा विषूचिका (cholera) के जीवाणुओं के लिए घातक न होक केल आंत्र ज्वर के जीवाणु को नष्ट करने में समर्थ होते हैं।
19.
किस प्रकार विषूचिका (हैजा) के रोग के प्रकोप को आटा पिसवाकर तथा उसको ग्राम के बाहर फेमककर रोका तथा उसका उन्मूलन किया, बाबा की इस लीला का प्रथम अध्याय में वर्णन किया जा चुका है ।
20.
किस प्रकार विषूचिका (हैजा) के रोग के प्रकोप को आटा पिसवाकर तथा उसको ग्राम के बाहर फेमककर रोका तथा उसका उन्मूलन किया, बाबा की इस लीला का प्रथम अध्याय में वर्णन किया जा चुका है ।