| 11. | विसर्ग ही “ह” के रूप में प्रकट होता है।
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| 12. | (2) विसर्ग यहाँ सर्वथा नहीं पाया जाता।
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| 13. | कुछ शब्दों के बाद विसर्ग लगाने से
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| 14. | के विसर्ग का लोप हो गया है।
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| 15. | ' भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: ' यही उसका स्वरूप है।
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| 16. | विसर्ग कंठ और जीभ का निचला भाग
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| 17. | यह दूसरी रचना प्रतिसर्ग या विसर्ग कहलाई।
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| 18. | विसर्ग ही “ह” के रूप में प्रकट होता है।
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| 19. | (2) विसर्ग यहाँ सर्वथा नहीं पाया जाता।
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| 20. | अतएव भारतीय संस्कृति सूर्यवत विसर्ग मूलक बनी।
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