यही हमे प्रेरित भी करता हे की “ बीती ताहि विसार दें, आगे की सुध लेय ” ।
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जब इसका अहसास आठों पहर बना रहता है तो ऐसी कोई परिस्थति नहीं आती जिसके कारण गुरुसिख निराकार को विसार देता है।
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“बीती ताहे विसार दे, आगे की सुधि ले” की तर्ज पर मान, अपमान, अभिमान, अहंकार को छोड़ वास्तविक धरातल पर कांग्रेस को सोचना होगा।
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दुनिया से तो लड़ लेते पर कुदरत से हम हार गए, देखा उसका दर्द जो हमने, अपना दर्द विसार गए! बहुत खूब पंकज जी!
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डी एस पी ने बताया कि दोनों विसार की रिर्पोट एक जो भारत में बनी दूसरी ब्रिटेन में दोनों में हत्या के एक ही कारण हैं।
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जितना प्रयास करती बीती बातों को भूलने का, उतना ही रह-रह कर उसके सामने आ रही थी' बीती ताहि विसार दे आगे की सुधि ले '.
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जितना प्रयास करती बीती बातों को भूलने का, उतना ही रह-रह कर उसके सामने आ रही थी ' बीती ताहि विसार दे आगे की सुधि ले '.
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' ' बीती ताहे विसार दे, आगे की सुधि ले '' की तर्ज पर मान, अपमान, अभिमान, अहंकार को छोड़ वास्तविक धरातल पर कांग्रेस को सोचना होगा।
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१८५७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर के पूर्व से ही अनगिनत सूरमाओं ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया और समय के बदलते चक्र के कारण हम भारतवासियों ने उन्हें विसार दिया।
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१ ८ ५ ७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर के पूर्व से ही अनगिनत सूरमाओं ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया और समय के बदलते चक्र के कारण हम भारतवासियों ने उन्हें विसार दिया।