पंचायत शिक्षकों को देय मानदेय के भुगतान के संबंध में भी बिना औचित्य के भुगतान लंबित रखने की स्थिति में शिक्षक मानदेय मद की अव्यवहृत राशि का आठ प्रतिशत की वार्षिक दर से ब्याज की गणना कर संबंधित पंचायत सचिवों के वेतन से वसूली की जाएगी।
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अब प्रश्न उठता है कि अतिरिक्त वसूला गया पैसा ग्राहकों को कैसे वापस होगा? होना तो यह चाहिए था कि रेट के निर्धारण में गलती जिस स्तर के अधिकारी से हुई पहले उसके खिलाफ वेतन से वसूली हो या उक्त अवधि में पैट्रोल संचालकों द्वारा जो अतिरिक्त राशि ली गई है को जिम्मेदार अधिकारी एकत्रित कर किसी अनाथालय, वृद्धाश्रम या चेरीटेबल अस्पताल में जमा कराने की जवाबदेही भी अब आई. ओ.स ी. की हो? गलती की है तो अब सजा भी होनी चाहिए, आखिर पारदर्शिता एवं जवाबदेही का जो सवाल है।