| 11. | इन दोनों स्थितियों में भी [ई] पार्श्विक व्यंजन ध्वनि अधिक प्रयुक्त होती हैं, स्वरों के मय में इसके स्थानपर लुंठित व्यंजन ध्वनि [र्] उच्चारित होती हैं.
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| 12. | इन दोनों स्थितियों में भी [ई] पार्श्विक व्यंजन ध्वनि अधिक प्रयुक्त होती हैं, स्वरों के मय में इसके स्थानपर लुंठित व्यंजन ध्वनि [र्] उच्चारित होती हैं.
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| 13. | “पच्” (पकाना) धातु में “घञ्” प्रत्यय के अनुबंध से “ञ्” और “घ्” की व्यंजन ध्वनि लुप्त (इत्) हो जाती है, केवल अक्षरात्मक स्वर “अ” रह जाता हैं.
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| 14. | Ŋ वह अनुनासिक (nasal) व्यंजन ध्वनि है जो उन तमाम शब्दों में देखने को मिलती है जिनकी वर्तनी में ‘ ng ' मौजूद रहता है ।
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| 15. | उदाहरण के लिए यदि हम ‘ क ' वर्ण का अकेले उच्चारण करें तो उसमें व्यंजन ध्वनि ‘ क् ' के साथ स्वर ध्वनि ‘ अ ' अवश्य होगी।
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