व्यतिरेकी भाषाविज्ञान का इतिहास बहुत ही अल्प समय का है, केवल पच्चीस-तीस वर्ष का ।
12.
व्यतिरेकी भाषाविज्ञान का इतिहास बहुत ही अल्प समय का है, केवल पच्चीस-तीस वर्ष का ।
13.
सन् १९५७ में प्रकाशित राबर्ट लेडो की पुस्तक ‘लिंग्विस्टिक्स एक्रासक कल्चर्स ' व्यतिरेकी भाषाविज्ञान का आकार ग्रन्थ है ।
14.
सन् १९५७ में प्रकाशित राबर्ट लेडो की पुस्तक ‘लिंग्विस्टिक्स एक्रासक कल्चर्स ' व्यतिरेकी भाषाविज्ञान का आकार ग्रन्थ है ।
15.
और यदि होती भी है तो ऐसा मानने वालों को इसका कैसे पता? व्यतिरेकी भाषाविज्ञान और उसके मनोवैज्ञानिक आधार २.
16.
व्यतिरेकी भाषाविज्ञान को एक व्यवस्थित शाखा के रुप में विकसित कराने का श्रेय दो अमरीकी भाषाविज्ञानियों को जाता है ।
17.
व्यतिरेकी भाषाविज्ञान को एक व्यवस्थित शाखा के रुप में विकसित कराने का श्रेय दो अमरीकी भाषाविज्ञानियों को जाता है ।
18.
उन्होंने विस्तार से समझाया कि अन्य भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाते समय व्यतिरेकी भाषाविज्ञान से किस तरह मदद ली जानी चाहिए.
19.
आज व्यतिरेकी भाषाविज्ञान (छोन्ट्रस्टिवे ळिन्गुइस्टिच्स्) केमहत्व की स्थापना के कारण साम्यमूलक विश्ले-~ षण के स्थान पर व्यतिरेकी आधार कोविशेष बल प्राप्त हुआ है.
20.
उन्होंने विस्तार से समझाया कि अन्य भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाते समय व्यतिरेकी भाषाविज्ञान से किस तरह मदद ली जानी चाहि ए.