अतः व्यवहार प्रक्रिया संहिता के आदेश 14 नियम 5 के अर्न्तगत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुये न्यायालय से यह अनुरोध किया गया कि वह इन दोनों तथ्यों के संबंध में अतिरिक्त वाद बिन्दु का सृजन करने की कृपा करें।
12.
ऐसी अवस्था में उस व्यक्ति के पास एक मार्ग तो यह है कि आशंका में जीते हुए उसे सच या मिथ्या होने की प्रतीक्षा करे या फिर अदालत में खुद व्यवहार प्रक्रिया संहिता की धारा 148-अ के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत करे।
13.
माननीय न्यायालय द्वारा उपरोक्त मामले में ऐसी ही याचिका की पोषणीयता के सम्बंध में यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है कि मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत प्रचलित कार्यवाही में व्यवहार प्रक्रिया संहिता के प्राविधान उतनी कठोरता से लागू नहीं होते हैं।
14.
नोटिस में उल्लेख है कि सभी प्रतिवादियों को साधारण तौर पर नगर निगम और उनके बीच जारी इस मुकदमे के बारे में साधारण तौर पर सूचित करना मुश्किल है, इसलिए ही यह पत्र व्यवहार प्रक्रिया संहिता के इस प्रावधान इस्तेमाल किया गया है।
15.
विडम्बना यह है कि सम्पूर्ण देष में एक समान मौलिक कानून-संविधान, व्यवहार प्रक्रिया संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, साक्ष्य अधिनियम व दण्ड संहिता-के उपरान्त न्यायालयों द्वारा अपनायी जाने वाली मनमानी व स्वंभू प्रक्रिया व परम्पराओं के कारण निस्तारण में गंभीर अन्तर है।
16.
निम्न न्यायालय द्वारा मूल वादसं0-5 / 2008 राधेश्याम व अन्य बनाम नगर पालिका परिषद टनकपुर में अस्थाई निषेधाज्ञा प्रार्थनापत्र 6ग2 में पारित आदेश पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य के प्रतिकूल होने व व्यवहार प्रक्रिया संहिता के आदेश-39 के प्राविधान के विपरीत होने से रद्द किए जाने योग्य है।
17.
यदि निगरानीकर्ता अनिल कपूर को आदेश 1 नियम 10 व्यवहार प्रक्रिया संहिता के अर्न्तगत पक्षकार बनाया जाता ह, तो ऐसा करने से वादों की विभिन्नता को कम किया जा सकता है और पक्षकारों के बीच विवाद को एक बार ही निस्तारित किया जा सकता है।
18.
भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय संविदा अधिनियम, संपत्ति अंतरण अधिनियम, व्यवहार प्रक्रिया संहिता, भारतीय वन अधिनियम, भू अर्जन अधिनियम जैसे कानून 1857 के जनसंग्राम की प्रतिक्रिया के स्वरूप बनाए गए प्रतीत होते हैं.
19.
विगत तीन दषकों से जनहित याचिका के नाम पर न्यायपालिका का महिमामडंन कर इसे एक सामाजिक न्याय का नवोन्मेशी साधन बताया जा रहा है जबकि व्यवहार प्रक्रिया संहिता की धारा 91 में इसके समानान्तर प्रावधान निचले स्तर तक के न्यायालयों के लिए सन् 1908 से विद्यमान हैं।
20.
‘‘ निष्कर्ष " // निष्कर्ष के आधार// 8/-प्रकरण में वादी संस्था की ओर से उसके अध्यक्ष राजकुमार बाथम वादी साक्षी क्रमॉक-1 का शपथ-पत्र अन्तर्गत आदेश-18 नियम-4 व्यवहार प्रक्रिया संहिता का प्रस्तुत किया गया है तथा प्रदर्श पी-1 लगायत प्रदर्श पी-11 तक के दस्तावेज पेश किये गये हैं।