इसी तरह हिन्दी, बंगला, पंजाबी, मराठी इत्यादि भाषाओं के कई शब्द और व्याकरणिक रूप आपस में मिलते हैं पर ये शब्द और व्याकरणिक रूप संस्कृत से नहीं मिलते।
12.
लगता है यह ‘कम्ना ' का ही कोई व्याकरणिक रूप होगा क्योंकि इस शब्द की कोई विवेचना संस्कृत कोश में नहीं मिलती जिससे इसे अवेस्ता के ‘कम' से जोड़ा जा सके ।
13.
भाषा के देशी वक्ताओं की अधिकांश संख्या को भाषा के व्याकरण की कोई औपचारिक जानकारी नहीं होगी लेकिन फिर भी भाषा को व्याकरणिक रूप से सटीकता के साथ बोलने में सक्षम हैं।
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लगता है यह ‘ कम्ना ' का ही कोई व्याकरणिक रूप होगा क्योंकि इस शब्द की कोई विवेचना संस्कृत कोश में नहीं मिलती जिससे इसे अवेस्ता के ‘ कम ' से जोड़ा जा सके ।
15.
* तीसरा प्रमाण डा॰ वर्मा ने वार्ताओं के व्याकरणिक रूप का दिया है और यह निष्कर्ष निकाला है कि एक ही लेखक अपनी दो कृतियों में व्याकरण के इन छोटे-छोटे रूपों में इस तरह भेद नहीं कर सकता।
16.
इन भाषाओं की विशेषताएं है कि सभी प्राचीन हिन्द-यूरोपीय भाषाओं (जैसे लैटीन, प्राचीन यूनानी भाषा, संस्कृत, आदि) में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई शब्द-रूप होते थे, जो वाक्य में इनका व्याकरणिक रूप दिखाते थे ।
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इन भाषाओं की विशेषताएं है कि सभी प्राचीन हिन्द-यूरोपीय भाषाओं (जैसे लैटीन, प्राचीन यूनानी भाषा, संस्कृत, आदि) में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई शब्द-रूप होते थे, जो वाक्य में इनका व्याकरणिक रूप दिखाते थे ।
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इन भाषाओं की विशेषताएं है कि सभी प्राचीन हिन्द-यूरोपीय भाषाओं (जैसे लैटीन, प्राचीन यूनानी भाषा, संस्कृत, आदि) में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई शब्द-रूप होते थे, जो वाक्य में इनका व्याकरणिक रूप दिखाते थे ।
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(ग) ऐसे शब्द प्रयोग, ऐसी व्याकरणिक संरचनाएं हो सकती हैं जिनका अर्थबोध तो हो जाता है मगर जो व्याकरणिक रूप से अशुद्ध न होने पर भी हिन्दी की प्रकृति से काफी अलग होने के कारण पाठक को उनसे संवाद स्थापित करने में कठिनाई होती है।
20.
संस्कृत में वैयाकरणों ने जिन प्रयोगों को अपवाद या वैकल्पिक प्रयोग बतलाया है, वे ऐसे ही जनपदीय भाषाओं के व्याकरणिक रूप रहे होंगे जिनका प्रभाव संस्कृत पर वैसा ही पड़ा होगा जैसे आज हिन्दी पर अंग्रेजी वाक्य रचना का प्रभाव पड़ता है या कभी-कभी विभिन्न प्रादेशिक भाषाओं की वाक्य रचना का प्रभाव भारतीय अंग्रेजी पर पड़ता है।