नियमित दिशा में निरंतर प्रवाह के कारण प्राचीन काल में व्यापारियों को पालयुक्त जलयानों के संचालन में इन हवाओं से काफी मदद मिलती थी, जिस कारण इन्हें व्यापारिक पवन कहा जाने लगा।
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भूमध्यरेखा के समीप दोनों व्यापारिक पवन आपस में मिलकर अत्यधिक तापमान के कारण ऊपर उठ जाती हैं तथा घनघोर वर्षा करती हैं क्योंकि वहां पहुंचते-पहुंचते ये जलवाष्प से पूर्णत: संतृप्त हो जाती हैं।
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भूमध्यरेखा के समीप दोनों व्यापारिक पवन आपस में मिलकर अत्यधिक तापमान के कारण ऊपर उठ जाती हैं तथा घनघोर वर्षा करती हैं क्योंकि वहां पहुंचते-पहुंचते ये जलवाष्प से पूर्णत: संतृप्त हो जाती हैं।
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पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति में लगभग 30 डिग्री उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश के क्षेत्रों अर्थात उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबंधों से भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब कटिबंधों की ओर पृथ्वी के दोनों गोलाद्र्धे में वर्षभर निरंतर प्रवाहित होने वाली हवाओं को व्यापारिक पवन कहा जाता है।
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पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति में लगभग 30 डिग्री उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश के क्षेत्रों अर्थात उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबंधों से भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब कटिबंधों की ओर पृथ्वी के दोनों गोलाद्र्धे में वर्षभर निरंतर प्रवाहित होने वाली हवाओं को व्यापारिक पवन कहा जाता है।