संवर्धात्मक उपक्रमों को उनकी भूमिका प्रभावी रूप से निभाने के लिए सुदृढ़ किया जाएगा, जीवनक्षम वाणिज्यिक सार्वजनिक उपक्रमों की पुनर्संरचना की जाएगी ताकि उन्हें पार्श्विक समावेश के माध्यम से व्यावसायिक प्रबंध लाकर भी व्यावसायिक ढंग से चलाया जा सके।
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इस परिस्थिति से निपटने के लिए देश के पास कोई कारगर तंत्र या व्यवस्था नहीं है जिसके माध्यम से व्यासायिक रूप से किये जाने वाले कामों को व्यावसायिक रूप से सक्षम हाथों में सौंपा जाए और सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों को व्यावसायिक ढंग से चलने की दिशा में काम किया जा सके. मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...