पत्रकारिता के व्यावसायिक मानदंडों को तार-तार करने वाली पुलिसिया दबिश का लगातार बढ़ता यह तरीका साफ कर देता है कि गृह मंत्रालय अब हमें एक व्यावसायिक पत्रकार भी नहीं बने रहने देना चाहता, जो कि चैथे स्तंभ का बुनियादी मूल्य है।
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आँखें खुलती है तो पत्रकारिता दिखता है, मगर इस के लिए पत्रकार होना जरुरी है और मॉस कॉम तथा जर्नलिजम करके आप व्यावसायिकता सीख सकते हें पत्रकारिता नही) ना की धंधेबाज, व्यावसायिक पत्रकार को इस से बेहतर शब्द नही मिल सकते।