थाली में निकालकर इसे हल्के हाथों से शक्क र और गुलाब जल के साथ मैश कर लें ताकि यह एक जैसा चिकना हो जाए।
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फरमान नं. 6 के मुताबिक शक्की हालत के ग्रह के बुरे असर से बचने के लिए शक्क का फायदा उठाया जा सकता है।
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सामग्री: घेवर के लिए: 100 ग्राम साबूदाने (सूखे पिसे हुए), 1 टी-कप पानी, 100 ग्राम घी, 100 ग्राम शक्क र (चाशनी के लिए), 1 लीटर दूध (रबड़ी के लिए), थोड़ा-सा इलायची पावडर।
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इस बात में कोई शक्क नही की हम जो जिंदगी आज जी रहे है वोह हमारे कल की देन है पर साथ ही साथ यह भी नही भूलना चाहिए की वो कल भी तो कभी आज था।
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बुलबुल चिरई आ गयीली का? आरे हमर बाछी....... आ गयीनी रउआ......... आवाज़ इतनी धीमी थी कि शक्क हुआ अपने आप पर कि ये मैं कैसे सुन सकती हूं? कई बार सोचा कान बज रहे हैं मेरे इसी उमर में..........
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क्या तुसेंगी र्हानी होंदी ऐ जे मानव जीवन बाद साढ़ा केह् बनग? क्या तुसें कदें इस नीरस जीवन शा उट्ठियै जीवन जीने दी कोशश कीती ऐ? क्या तुसेंगी कदें शक्क होंदा ऐ जे साढ़े जीवन दा केह् अर्थ ऐ? क्या तुस मरने दे बाद बी जीवन जीना चांह्दे ओ अगर इयां ऐ ते तां यीशु तुं'दा मार्गद
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क्या तुसेंगी र्हानी होंदी ऐ जे मानव जीवन बाद साढ़ा केह् बनग? क्या तुसें कदें इस नीरस जीवन शा उट्ठियै जीवन जीने दी कोशश कीती ऐ? क्या तुसेंगी कदें शक्क होंदा ऐ जे साढ़े जीवन दा केह् अर्थ ऐ? क्या तुस मरने दे बाद बी जीवन जीना चांह्दे ओ अगर इयां ऐ ते तां यीशु तुं'दा मार्गदर्शन करग।
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इसमें ज़रा भी शक्क की गुंजाइश नहीं है कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा उच्ची जाति वालों को खुश करने के लिए दलितों के साथ धक्का करता आया है, इसीलिए बाबा सावण सिंह के समय से ही वहाँ लंगर दो जगह बाँटा जाता था दलितों को अलग पँगत में बिठाया जाता था और सर्वण जाति के लोगों को अलग पँगत में बैठा कर लंगर वरताया जाता था।
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कोई शक्क!!:) शुभकामना है २००९ के आगामी नव-वर्ष की! ताऊ जी “रामपुरिया जी को ” और मग्गा बाबा को भी-अब ये जो पात्र मय ताई जी तथा आपके सारे शिव जी के गणोँ और पशुओँ सहित बना है हम तो उसी को जानते हैँ-अब “लेज़्जीज़ फेयर” का जिम्मा भी आपको ही देते हैँ राम राम! सादर, स स्नेह,-लावण्या