कई बार सोचता हूं कि क्या वे हमारे राष्ट्र / देश का अटूट हिस्सा हैं और हमारी तरह से उन्हें भी खुलकर सांस लेने और नागरिक अधिकारों का उपयोग करने का अधिकार है या फिर उपनिवेश / शत्रु क्षेत्र हैं जो उन्हें सेना के हवाले कर दिया जाना चाहिए?
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कई बार सोचता हूं कि क्या वे हमारे राष्ट्र / देश का अटूट हिस्सा हैं और हमारी तरह से उन्हें भी खुलकर सांस लेने और नागरिक अधिकारों का उपयोग करने का अधिकार है या फिर उपनिवेश / शत्रु क्षेत्र हैं जो उन्हें सेना के हवाले कर दिया जाना चाहिए? फिर यह भी सोचता हूं कि अनोखे हैं वे लोग जो डंडे के जोर पर देशभक्त बना सकते हैं और राष्ट्रीयतावाद की अलख जगा सकते हैं?
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दिसंबर 1967 में आपका सेना कमीशन हेतु चयन किया गया और जून 1968 में आर्मी कैडेट कालेज पूना में प्रवेश कर 13 जून 1971 को कमीशन प्राप्त कर २२ मराठा रेजिमेंट में पोस्टिंग प्राप्त की | तुरंत ही आपको पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के मोर्चे पर एक घातक के तौर पर संघर्ष के लिए शत्रु क्षेत्र में कई किलोमीटर भीतर उतार दिया गया | जहाँ कई बार शत्रुओं से घिरने के बाद भी आपने अपने कार्य को बखूबी अंजाम देते हुए सफलता पूर्वक निकले |