| 11. | और मैं रख देता हूँ धीरे से शमादान में भविष्य के कुछ सुनहरी गुलाब
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| 12. | लाडिली पर निगाह पड़ी जो एक शमादान के आगे बैठी हुई कुछ लिख रही थी।
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| 13. | शमादान, फ़ोटो फ़्रेम स्थायी, वॉल सजावट, कला वर्क, बांस बास्केट, फलों का बाउल, ट्रे, रतन बास्केट,
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| 14. | में शमादान जल रहा था और उसकी खुली खिडकी के पास बैठी सलीमा रात का सौंदर्य
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| 15. | शमादान के सामने लिफाफा खोला, उसके अन्दर एक चीठी थी, उसमें यह लिखा था-
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| 16. | भूतनाथ ने शमादान मकान के भीतर चौक में रख दिया और तब बलभद्रसिंह को आगे बढ़ा ले गया।
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| 17. | इसके बाद उसने वह शमादान गुल कर दिया जो एक तरफ खूबसूरत चौकी के ऊपर जल रहा था।
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| 18. | कोने की तरफ एक मामूली शमादान जल रहा था जिसकी मद्धिम रोशनी में दो चारपाई बिछी हुई दिखाई पड़ीं।
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| 19. | शमादान के पास जाकर लिफाफा खोला और उसके अन्दर से खत निकालकर पढ़ने लगा, यह लिखा हुआ था-
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| 20. | उससे हुस्न अफरोज ने पूछा, कहिए तो जीने के शमादान भी जला दूँ ताकि किसी आने-जानेवाले को कष्ट न हो।
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