हिंदुस्तान 7 मार्च, 1956 पहला पेज दो कालम की खबर है, जिसमें प्रख्यात कवि मैथिलीशरण गुप्त ने कवितामय अंदाज में बजट से जुड़े सवाल पूछे हैं--आह कराह न उठने दे जो शल्य वैद्य है वही समर्थ-राष्ट्रकवि की दृष्टि में बजट-हमारे संवाददाता द्वारा नई दिल्ली 6 म...
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-आह कराह न उठने दे जो शल्य वैद्य है वही समर्थ-राष्ट्रकवि की दृष्टि में बजट-हमारे संवाददाता द्वारा नई दिल्ली 6 मार्च, राज्य सभा में साधारण बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त ने निम्नलिखित कविता पढ़ी-धन्यवाद हे धन मंत्री को करें चाय सुख से प्रस्थान, हम सब पानी ही पी लेंगे, किंतु खान पहले फिर पान मिटे मद्य कर लोभ आपका अधिक आय का वह अभिशाप, दे देकर मद मोह स्वयं ही फिर प्रबोध देते हैं आप।