| 11. | प्यार के बूटे खिलेंगे नढ़रतों की शाख़ पर
|
| 12. | “पेड़ की शाख़ से बिछड़ते पत्ते की तरह,
|
| 13. | दूब की शाख़ पर कुछ नमी रह गई
|
| 14. | हर शाख़ सर पे है ये दस्तार बसंती
|
| 15. | गिरूं तो, शाख़ मै दरख्त, मेरे साथ गिरे,
|
| 16. | कोंपलें फिर फूट आईं शाख़ पर कहना उसे
|
| 17. | जब फड़क उठे किसी शाख़ से पत्ता कोई
|
| 18. | फूल और कांटे एक ही शाख़ पर हैं।
|
| 19. | “फिर उसी शाख़ पर” “फिर उसी शाख़ पर”
|
| 20. | “फिर उसी शाख़ पर” “फिर उसी शाख़ पर”
|