रामअवतार ने अपनी बेटी की शादी के लिए जो अपने हाथ पीले करने का कदम उठाया वो दिलचस्प तो है ही पर साथ में बड़ा गंभीर भी है कि बेटी का कन्यादान करने के लिए स्त्री-पुरुष का शादी के बंधन में बंधना जरूरी है.
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आप खाप पंचायत वालों से बात करें-जिन्हें एक इलाके और समाज के लड़के-लड़कियों का शादी के बंधन में बंधना तो दूर मोबाइल फोन पर बात करना तक अखरता है--तो वे बताएंगे कि कैसे इस-उस दल के नेता जातीय आधार और प्रभाव के कारण उनके आगे नाक रगड़ने आते हैं।