धनु राशि में स्थित होने पर जातक राजा का कृपा पात्र, पंडित,व्यवहार कुशल,चतुर,आयुर्वेद या शिल्प विद्या का ज्ञाता,धनवान तथा बंधु हितकारी होगा |
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नल और नील ने अपनी शिल्प विद्या के प्रबल प्रताप से लकड़ी पत्थर को पानी पर तैरा-तैरा कर सौ योजन लंबा और दस योजन चैड़ा पुल तैयार कर दिया।
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धनु राशि में स्थित होने पर जातक राजा का कृपा पात्र, पंडित, व्यवहार कुशल, चतुर, आयुर्वेद या शिल्प विद्या का ज्ञाता, धनवान तथा बंधु हितकारी होगा |
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अथर्ववेद, जो शिल्प विद्या के भंडार के रूप में विख्यात है, उसमें पदार्थ गुण विज्ञान कौशल, नानाविध पदार्थों का निर्माण, पृथ्वी से लेकर आकाशपर्यंत की विद्याओं का वर्णन है।
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महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ।
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महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ।
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महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ।
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महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी, वह अष्टम वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे संपूर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ।
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इस विचार से सब ने कहा, “ महाराज, शिल्प विद्या के कई पंडित हमारे ही नगर में हैं ; ऐसी हालत में युवराजा को तक्षशिला क्यों भेजते हैं? ” पर राजा ने उनके सुझाव को न माना।