शास्त्रीय आत्मज्ञान अवधि में पढ़ा लेखकों रिपब्लिकन सरकार के एक सार है कि आदर्श राजा के सामाजिक पदानुक्रमित आदेश, शिष्टजन और साधारण शामिल सिखाया है.
12.
शिष्टजन सम्मत है, उचित है, वह सदाचार है और जो आचरण या प्रवृत्ति नियम के विरुद्ध है, वह असत् है, वह अनाचार है।
13.
“नया साम्राज्य”) को बर्थोल्ड को समर्पित किया.[9] इस कृति में ऐसे समाज की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है जिसे पदानुक्रमित आध्यात्मिक शिष्टजन द्वारा शासित किया जाता है.
14.
ऐसे समय में जूलियस सीजर की जीवनी जब प्रशासनिक समितीय शिष्टजन मौत के लिए एक युद्ध लगी हुई थी वर्चस्व के लिए रोमन दुनिया भर में है, जहां...
15.
परन्तु यह अपने आप को एक प्रभुराष्ट्र में तब्दील करने में यह नाकाम रहा. परन्तु यह आज भी जीवित है और इस की एक अपनी अद्वितीय साहित्य, अपना राजा और शिष्टजन है.
16.
परन्तु यह अपने आप को एक प्रभुराष्ट्र में तब्दील करने में यह नाकाम रहा. परन्तु यह आज भी जीवित है और इस की एक अपनी अद्वितीय साहित्य, अपना राजा और शिष्टजन है.
17.
9. कारपोरेट पावर संरक्षित होती है-फासीवादी राष्ट्र में औद्योगिक और व्यवसायिक शिष्टजन सरकारी नेताओं को शक्ति से नवाजते हैं जिससे अभिजात वर्ग और सरकार में एक पारस्परिक रूप से लाभप्रद रिश्ते की स्थापना होती है.
18.
उसे अमर होना है इतिहास में नाम दर्ज कराना है हे नाथ क्षमा करना वही करता है भ्रष्ट सब काम उसके चेहरे पर कई चेहरों की पर्तें जिनका जरूरत के मुताबिक करता इस्तेमाल यह देश उसे ही मानता है आजकल सभ्य नागरिक शिष्टजन अध्यापक वैज्ञानिक राजनीतिज्ञ समाजशास्त्री भाषाविद इत्यादि.....
19.
प्लेटो के अनुसार, एक राज्य जो आत्माओं के विभिन्न प्रकार से बना है, एक समग्र शिष्टजन (सर्वोत्तम द्वारा शासन से एक (माननीय द्वारा शासन timocracy जाएगा गिरावट)), तो फिर एक (कुछ अल्पतन्त्र द्वारा शासन करने के लिए) तो फिर, एक लोकतंत्र (लोगों द्वारा शासन करने के लिए), और अंततः अत्याचार करने के लिए (एक व्यक्ति शासन, एक तानाशाह द्वारा शासन द्वारा)] [प्रशस्ति पत्र की जरूरत है.
20.
हमारे यहाँ तीन चीजेँ कही गयीँ हैँ गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैँ-राम जी को, आदेश दे रहे हैँ वसिष्ठ जी “ कर्म करो! ” लोकमत यानि कि जो लोक का मत है, उसके अनुसार काम करो-साधु का मतलब, साधु, सन्यासी, वैरागी नहीँ-साधु का मतलब है-शिष्टजन-समाज-जो सँस्कृत, अच्छे लोग हैँ हमारे समाज का जो नेतृत्व कर रहे हैँ, उन लोगोँ का जो मत है, वैसा करो.