वहीं से अपनी द्विशाखित (bifurcated) शुंड (proboscis) को बाहर लहराते हुए यह जीव आहार ढूँढता रहता है।
12.
भी जिह्वा के अनुसार ही लंबी हो जाती हैं और सब मिलकर एक स्पष्ट शुंड बना देती हैं।
13.
मुख भाग में चोंच के आकार का शुंड होता है, यह सुई के समान नुकीला और चूसनेवाला होता है।
14.
वहीं से अपनी द्विशाखित (bifurcated) शुंड (proboscis) को बाहर लहराते हुए यह जीव आहार ढूँढता रहता है।
15.
किंतु यदि किसी प्रकार वह मादा के शुंड में आकर्शित होकर पहुँच जाता है, तो वह नर के रूप में विकसित होता है।
16.
किंतु यदि किसी प्रकार वह मादा के शुंड में आकर्शित होकर पहुँच जाता है, तो वह नर के रूप में विकसित होता है।
17.
किंतु यदि किसी प्रकार वह मादा के शुंड में आकर्शित होकर पहुँच जाता है, तो वह नर के रूप में विकसित होता है।
18.
यदि कोई लार्वा समुद्रतल में बैठ जाता है, अथवा किसी मादा के शुंड में पहुँच नहीं पाता है, तो वह मादा के रूप में विकसित होने लगता है।
19.
यदि कोई लार्वा समुद्रतल में बैठ जाता है, अथवा किसी मादा के शुंड में पहुँच नहीं पाता है, तो वह मादा के रूप में विकसित होने लगता है।
20.
किसी-किसी में अधरोष्ठ (लेबियम, Labium) की स्पर्शनियां और ऊर्ध्व हन्वस्थि (मैक्सिला, Maxilla) भी जिह्वा के अनुसार ही लंबी हो जाती हैं और सब मिलकर एक स्पष्ट शुंड बना देती हैं।