आसन, प्राणायाम, बंध, मुद्रा और हठयोग की क्रियाओं के अभ्यास से नाड़ी शुद्धि करना भी आवश्यक है।
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आसन, प्राणायाम, बंध, मुद्रा और हठयोग की क्रियाओं के अभ्यास से नाड़ी शुद्धि करना भी आवश्यक है।
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अनित्यं खण्डयेत् सर्वं यङ्क्षत्कञ्चिदात्मगोचरम्॥ ९९ ॥ गुरुदेव जो भी राह दिखायें, उसी राह पर चलते हुए मन की शुद्धि करना कर्त्तव्य है।
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हमारा शरीर भी एक मशीन है, जो दिन भर साँस लेना, रक्त की शुद्धि करना, भोजन को पचाना आदि महत्वपूर्ण कार्य करता है।
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क्योंकि शरीर के अन्दर अंगों का पूरा नियंत्रण नाड़ी संस्थान द्वारा मस्तिष्क से होता है जैसे आपके हृदय का धड़कना, पाचन रसों का बनना, ग्रंथियों का रासायनिक कार्य करना, श्वास-प्रश्वास यंत्र का कार्य करना, त्वचा तथा गुर्दों द्वारा रक्त शुद्धि करना आदि।