प्रोफेशन से मैं भी लेखक, पत्रकार, साहित्यकार या हिंदी का कोई विद्वान नही हूँ, इसलिए लिखते समय शुद्ध वर्तनी के प्रति अपनी जिम्मेदारी अधिक मानता हूँ।
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देख कर अच्छा लगा कि किसी को तो परवाह है हिंदी में शुद्ध वर्तनी की … कालीचरण जी, मध्यप्रदेशवासियों की ही हिंदी मानक मानी जाती है।
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आगत ध्वनि “ ऑ ” अथवा इसकी मात्रा (ॉ) के बाद शुद्ध वर्तनी का प्रयोग ही उपयुक्त है क्योंकि उसमें अनुस्वार की बिन्दी दिखायी नहीं देती।
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प्रोफेशन से मैं भी लेखक, पत्रकार, साहित्यकार या हिंदी का कोई विद्वान नही हूँ, इसलिए लिखते समय शुद्ध वर्तनी के प्रति अपनी जिम्मेदारी अधिक मानता हूँ।
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6. यह परीक्षण के दौरान प्राप्त अशुद्ध वर्तनी वाले शब्द को हाइलाइट करता है एवं उक्त अशुद्ध वर्तनी वाले शब्द के लिए कुछ शुद्ध वर्तनी युक्त संभावित शब्द भी सुझाता है।
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शेष आप लिखे. भाषा को लेकर मैं कुछ नही कहूँगी.... जैसे आप शुद्ध वर्तनी के पक्षधर है वैसे मैं गूढ़ विषयों के लिए मानक भाषा की:-)
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6. यह परीक्षण के दौरान प्राप्त अशुद्ध वर्तनी वाले शब्द को हाइलाइट करता है एवं उक्त अशुद्ध वर्तनी वाले शब्द के लिए कुछ शुद्ध वर्तनी युक्त संभावित शब्द भी सुझाता है।
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यदि लेख नाम में विविध वर्तनी सम्भव हो तो सामान्य नाम वाले लेख को शुद्ध वर्तनी वाले लेख की ओर पुनर्निर्देशित कर दें ताकि बाद में भूलवश दोबारा उसी विषय पर अलग लेख न बनाये।
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पर दो पोस्टों में अधिक नही समेटा जा सकता... शेष आप लिखे. भाषा को लेकर मैं कुछ नही कहूँगी....जैसे आप शुद्ध वर्तनी के पक्षधर है वैसे मैं गूढ़ विषयों के लिए मानक भाषा की:-) अधिक मजाक नही करुँगी:-)
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इसी प्रकार दूसरी आगत ध्वनि “ ऍ ” तथा इसकी मात्रा (ॅ) के बाद भी अनुस्वार की बिन्दी या तो दिखती नहीं या चन्द्रबिन्दु का भ्रम होता है अतः इसके स्थान पर भी शुद्ध वर्तनी का प्रयोग ही उपयुक्त है।