शुभ संध्या, आशा है आज की पहेली बहुतों ने सुलझा ले होगी.कुछ जवाब ताऊ जी के पास चेक्किंग के लिए रखे हुए हैं.
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आलीशान होटल के भोजन में शुभ संध्या बोनस के रूप में तो अगले दरवाजे था, अंत में कल पूर्वोत्तर लंबे चरण के लिए है.
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बों ज़ूर “ या ” बों स्वार ”, यानि शुभ दिन और शुभ संध्या, के अतिरिक्त आपस में हमने कुछ नहीं कहा.
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ॐ साईं राम शुभ संध्या:) शशि पुरवार जी, आपकी तारीफ हम कर सकें ऐसे शब्द नहीं, क्योंकि जितना भी अच्छा लिखेंगे, आपके व्यक्तित्व के सामने बहुत छोटा महसूस होगा, हम आपसे बहुत प्रभावित हैं, आपकी उपलब्धियां शानदार हैं, आप धन्य हैं आपका जीवन सफल है, आपको मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई, फिर किसी दिन फुर्सत से आपके ब्लॉग पर आपकी रचनाओं को पढ़ेंगे, क्योंकि आपकी व्यवहार कुशलता के हम बहुत पहले से ही कायल हैं, ईश्वर आपको सदा सुखी रखे..... जय श्री कृष्ण!!