शैली पुस्तिका किसी भाषा में तब जरूरी हो जाती है जब वह भाषा जनसंचार का साधन बनती है।
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लेखन या प्रकाशन में वे सारे प्रयोग, जिनकी वजह से भ्रम हो सकता है, उनके बारे में स्पष्ट निर्देश शैली पुस्तिका में दिये जाते हैं।
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यहां सही-गलत का सवाल नहीं है, शैली पुस्तिका के माध्यम से यह तय किया जाता है कि आप अपने अखबार में कौन सा एक रूप प्रयोग करेंगे।
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नर्सिंग विभाग के सभी पाठ्यक्रम कार्य के लिए अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के साथ ही उन्नत लेखन प्रवीणता कागज की वर्तमान शैली पुस्तिका के उपयोग की आवश्यकता है.
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शैली पुस्तिका ऐसे नियमों और प्रयोगों का एक संकलन होती है जिसमें उन शब्दों की चर्चा होती है जिनके एक से ज्यादा रूप प्रचलन में होते हैं या हो सकते हैं।
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जो अखबार अपनी शैली पुस्तिका विकसित करता है और लगातार नई जरूरतों के अनुसार उसमें संशोधन और परिवर्तन करता है, वह दरअसल अपने को एक चरित्र, एक पहचान देने की कोशिश करता है।
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शैली पुस्तिका मात्र एक ढांचा है जिसमें बताया जाता है कि भाषा की अशुद्धियों से ले कर पृष्ठ विन्यास (पेज ले-आउट) तक के बारे में आप क्या-क्या चीजें तय करें और उन्हें किस तरह रखें कि जरूरत पडने पर उन्हें आसानी से ढूंढ़ा जा सके।