शौकिया रंगमंच को पेशेवर रंगमंच के लिये चुनौती के रूप में अस्तित्व रखना चाहिये और पेशेवर रंगमंच को शौकिया रंगमंच के लिये चुनौती के रूप में होना चाहिये.
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यहाँ के अनेक कलाकारों ने न सिर्फ शौकिया रंगमंच में अपनी उपस्थिति दर्ज की है, बल्कि अनेक नाट्यकर्मियों ने नाट्य विद्ध्यालयों में विधिवत शिक्षा पाई है और देश के विभिन्न हिस्सों में कार्य कर रहे हैं!
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वाया एनएसडी-अजय ब्रह्मात्मज ‘ पान सिंह तोमर ' में इरफान की एक्टिंग देख कर विस्मित हो रहे दर्शकों को शायद नहीं मालूम हो कि राजस्थान के जयपुर में शौकिया रंगमंच करने के बाद उन्होंने एनएसडी से तीन सालों की थिएटर में एक्टिंग की ट्रेनिंग ली है।
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(आख्यान) जहाँ तक नुक्कड़ नाटकों के उद्भव (ज़रूरत) का प्रश्न है, ये नाटक उस आम जनता के लिए हैं जो टिकिट खरीद कर नाटक नहीं देख पाते! दर असल हिदी क्षेत्र बहुत बड़ा है! शौकिया रंगमंच का विस्तार हो रहा है!
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, लेकिन पिछले वर्षों में क्रमशः यहाँ जो स्थितियां रही हैं दुर्भाग्य पूर्ण हैं! दरअसल, हिंदीभाषी क्षेत्रों में निश्चित रूप से अपेक्षाकृत साहित्यिक, सांगीतिक और रंगमंचीय गतिविधियां बढ़ी हैं, लेकिन जब तक सत्ता का सहयोग नहीं (रंगमंडल बनाने कि पहल) तब तक ” शौकिया रंगमंच ” को पुख्ता ज़मीन नहीं मिलेगी! प्रसन्ना का ये आव्हान बिलकुल सही है!