बीसवीं शताब्दी के चौथे दशक तक श्रमिकसंघवादी पूरे यूरोप में सक्रिय रहे, लेकिन उसके बाद बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में यह आंदोलन ठंडा पड़ता गया.
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स्पेन, आट्रेलिया, फ्रांस, इंग्लेंड, डेनमार्क, नीदरलेंड आदि देशों के श्रमिक आज भी भारी संख्या में श्रमिकसंघवादी संगठनों से जुड़े हुए हैं.
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श्रम-क्रांति के ये पक्षकार हिंसक क्रांति का समर्थन नहीं करते अपनी लक्ष्य-सिद्धि के लिए श्रमिकसंघवादी अभी तक हड़ताल का सहारा लेते आए हैं.
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श्रमिकसंघवादी यद्यपि शांतिकामी नहीं हैं, तथापि वे दो विरोधी राज्यों के बीच युद्ध का इस आधार पर विरोध करते हैं, क्योंकि उसके द्वारा श्रमिक को कोई लाभ नहीं पहुंचता.