वे कहते हैं, ‘‘ हमारा संघ दीनहीन, दरिद्र, निरक्षर किसान तथा श्रमिक समाज के लिए है और उनके लिए सब कुछ करने के बाद जब समय बचेगा, केवल तब कुलीनों की बारी आयेगी।
12.
उनका कहना है कि आज के युवाओं को सरकार के ऊपर नीतियों में बदलाव के लिए, और समाज में एक अच्छे वातावरण के निर्माण के लिए अपना योगदान देना चाहिए, ताकि श्रमिक समाज की बेहतरी के लिए प्रयास किया जा सके।
13.
परिणाम यह है कि देश का बँटवारा केवल पाकिस् तान-भारत नामक दो देशों में ही नहीं हुआ है, बल्कि अब हमारा शेष भारतीय समाज भी नि: श्रम विशिष् टवर्गीय समाज और निरक्षर सामान् य श्रमिक समाज में विभाजित हो गया है।
14.
नि: श्रम विशिष् ट वर्गीय समाज एवं निरक्षर सामान् य श्रमिक समाज में देश का विभाजन-जीवन निर्वाह के लिये उपयोगी उत् पादक देह श्रम से परहेज रखने की, देशी वेशभूषा एवं भाषा से परहेज करने की, सादा जीवन बिताने की बजाय शान शौकत से जीने की, जमीन पर बैठने की बजाय कुर्सियों पर बैठने की जो परोक्ष शिक्षा...